दोस्‍री गली(Second street)

दोस्‍री गली

(एक रहस्यमयी गली, एक पुरानी डायरी, और एक लड़के की तलाश)

🔸 प्रस्तावना

अयान, 16 साल का एक चुप-चाप लड़का, हाल ही में अपने माता-पिता के साथ एक पुराने शहर के बाहरी इलाके में शिफ्ट हुआ था। नया घर, नई गली, और बिल्कुल अजनबी लोग।

एक शाम वो अपनी छत पर बैठा था जब सामने की छत से एक लड़की की आवाज़ सुनाई दी —

“अगर तुम्हें कुछ अलग देखना है, तो 'दूसरी गली' में जाना। लेकिन ध्यान रहे, वहां से सब वापस नहीं आते।”

अयान ने सिर घुमाकर देखा — कोई नहीं था।


🔸 रहस्यमयी डायरी

अगले दिन उसे अपने घर की अलमारी के पीछे एक पुरानी डायरी मिली।
उस पर धूल जमी थी, लेकिन पहला पन्ना साफ था —

“दूसरी गली, वो नहीं जो नज़र आती है। वहां वक्त ठहर जाता है। जो खो गया है, वो वहीं मिलता है।”

डायरी के पन्नों में एक ही नाम बार-बार लिखा था — "मेहर"

अयान को लगा ये वही लड़की थी जिसने पिछली रात आवाज़ दी थी।


🔸 दूसरी गली

अयान ने आसपास पूछताछ की, लेकिन सबने उसे टाल दिया।

एक बुज़ुर्ग ने डरते हुए कहा —
“बेटा, वो गली अब नहीं है। या यूं कहो, जो वहां गया… वो अब नहीं है।”

पर अयान रुकने वाला नहीं था।
उसने तय कर लिया — वो "दूसरी गली" जाएगा।

एक रात, जब सब सो चुके थे, वो निकला।
शहर के नक्शे में दूसरी गली कहीं नहीं थी, लेकिन डायरी में बना एक छोटा-सा स्केच था।

उसने उसे फॉलो किया… और एक मोड़ पर पहुंचते ही —
वो सामने थी।

एक पुरानी, टेढ़ी-मेढ़ी गली — जर्जर मकान, बुझी हुई लाइटें, और एक अजीब सी ठंडक।


🔸 समय का फंदा

गली में कदम रखते ही अयान ने महसूस किया —
सन्नाटा हड्डियों तक घुस गया।
घड़ी रुक गई थी। हवा भी चलना बंद कर चुकी थी।

हर दरवाज़ा बंद था… लेकिन एक खुला।
और अंदर… मेहर

“मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी,” उसने कहा।

“तुम यहां कैसे…?”

“मैं इस गली में तब से हूं जबसे मैं खो गई… पाँच साल पहले।”
“मैं गुमशुदा नहीं थी… मैं भूल दी गई थी।”


🔸 सच्चाई

मेहर ने बताया कि ये गली उन लोगों की दुनिया है जिन्हें किसी ने याद नहीं रखा, जो लोगों की यादों से मिट गए —
गायब, मगर ज़िंदा।

“तुम यहां कैसे आए?” मेहर ने पूछा।

“मैंने तुम्हारी आवाज़ सुनी थी।”

वो चौंकी, “तो तुमने मुझे याद किया?”

उस पल गली में कुछ बदलने लगा।
दीवारों से रोशनी टपकने लगी, हवा ने चलना शुरू किया, और अयान की घड़ी फिर से टिक-टिक करने लगी।

“तुम याद रखो, तो हम वापस जा सकते हैं।”
“याद ही हमारी चाबी है।”



🔸 वापसी

अयान ने मेहर का हाथ थामा और गली से बाहर की तरफ दौड़ पड़ा।

पीछे से सैकड़ों अधूरे चेहरों की परछाइयाँ चीख रही थीं,
"हमें भी याद करो!"

गली कांपने लगी, लेकिन जैसे ही उन्होंने अंतिम मोड़ पार किया —
गली गायब हो गई।

अयान और मेहर, दोनों अपने घर के सामने खड़े थे।
सुबह हो चुकी थी।


🔸 अंत… या नई शुरुआत?

अयान की मां दौड़कर आई, “तुम कहां थे? और ये लड़की कौन है?”

अयान मुस्कराया, “यही तो असली सवाल है… कि हम किसे भूल जाते हैं, और कब।”

मेहर की आंखों में नमी थी, लेकिन वो अब हवा की नहीं, यादों की थी।


समाप्त।

"दूसरी गली" सिर्फ़ एक रहस्यमयी जगह नहीं थी — वो हमारी यादों की परछाई थी।

जहां हर कोई इंतज़ार करता है… बस एक याद की लौ के लिए। 

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