🔥भगत सिंह (1907–1931) – अमर शहीद और निडर क्रांतिकारी
भगत सिंह भारत के सबसे साहसी, निर्भीक और प्रेरणादायी स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 28 सितम्बर 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर (अब पाकिस्तान में) के बंगा गाँव में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह, चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह सभी स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हुए थे। इसलिए देशभक्ति उन्हें बचपन से ही विरासत में मिली।
छात्र जीवन से ही भगत सिंह का झुकाव आज़ादी की ओर था। जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड (1919) ने उनके हृदय को गहराई से झकझोर दिया। वे क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित होकर ‘नौजवान भारत सभा’ और बाद में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) से जुड़ गए। उनका मानना था कि आज़ादी केवल अहिंसा से नहीं, बल्कि अन्याय और दमन के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष से भी संभव है।
1928 में साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपत राय पर हुए लाठीचार्ज से उनकी मृत्यु हो गई। इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह और उनके साथियों ने 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या कर दी।
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में अंग्रेजों के दमनकारी क़ानूनों के विरोध में बम फेंका। यह बम किसी की जान लेने के लिए नहीं, बल्कि “बहरे कानों को सुनाने” के लिए था। उन्होंने वहाँ पर्चे बाँटे और नारे लगाते हुए स्वयं को ब्रिटिश पुलिस के हवाले कर दिया।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में फाँसी दे दी गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी। उनकी शहादत ने पूरे भारत में क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित कर दी।
भगत सिंह की प्रमुख विशेषताएँ और योगदान:
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अटूट देशभक्ति: मातृभूमि के लिए हँसते-हँसते फाँसी का फंदा चूमा।
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क्रांतिकारी सोच: स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
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लेखक और विचारक: ‘आजाद’, ‘अकाली’, ‘प्रताप’ जैसे अख़बारों में लेख लिखे।
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प्रेरणा स्रोत: युवाओं के लिए साहस और बलिदान का प्रतीक बने।
भगत सिंह के प्रमुख नारे और उनकी रचनाएँ
🔥 भगत सिंह के प्रसिद्ध नारे
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✊ “इंक़लाब ज़िंदाबाद” 🇮🇳
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⚡ “साम्राज्यवाद का नाश हो”
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🕊️ “अंग्रेज़ों भारत छोड़ो”
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📢 “क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है”
📚 भगत सिंह की प्रमुख रचनाएँ और लेख
भगत सिंह केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि एक गहरे चिंतक और लेखक भी थे। जेल में और क्रांतिकारी जीवन के दौरान उन्होंने कई लेख और पुस्तकें लिखीं :
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✍️ मैं नास्तिक क्यों हूँ? – इसमें उन्होंने अपने विचारों और नास्तिकता के तर्क को स्पष्ट किया।
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✍️ जेल नोटबुक – जेल में लिखे गए उनके नोट्स, जिनमें साहित्य, राजनीति और क्रांति पर विचार शामिल हैं।
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✍️ क्रांति और हमारा दृष्टिकोण – क्रांति के वास्तविक अर्थ और उसकी ज़रूरत पर आधारित लेख।
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✍️ युवाओं के नाम पत्र – जिसमें उन्होंने युवाओं को देश के लिए जागरूक और समर्पित होने की प्रेरणा दी।
🌟 प्रेरणादायी व्यक्तित्व
🌹 इसलिए आज भी जब कोई युवा “इंक़लाब ज़िंदाबाद” का नारा लगाता है, तो उसमें भगत सिंह की ही गूँज सुनाई देती है।
👉 इसीलिए भगत सिंह को “शहीद-ए-आज़म” कहा जाता है और वे सदा अमर रहेंगे।
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