पतंगों का शहर
(एक रहस्यमय और कल्पनात्मक कहानी )
कहानी की शुरुआत होती है एक अनोखे शहर से — “उड़ानपुर”।
हर साल एक बड़ा त्योहार मनाया जाता था — “उड़ान महोत्सव”।
पूरा शहर सजा होता था। लोग छतों पर चढ़ते, तरह-तरह की पतंगें उड़ाते, और दिल थाम कर इंतज़ार करते उस एक खास पल का, जब कोई “चुना जाता”।
🎡 त्योहार का दिन
आरव ने अपनी बनाई हुई पतंग निकाली — वो अनोखी थी। लाल, नीली, और सुनहरी पट्टियों से सजी हुई।
जैसे ही उसने पतंग उड़ाई, हवा में कुछ अलग महसूस हुआ।
सिर्फ़ आरव की पतंग बची थी, जो बिल्कुल आसमान के बीचों-बीच, गोल-गोल घूम रही थी।
लोग चुपचाप उसे देख रहे थे।
💨 पतंग का चुना जाना
“आरव!” उसकी मां की चीख गूंजी।
लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।
पतंग आरव को लेकर उड़ चुकी थी।
☁️ आसमान के उस पार
“तुम चुने गए हो,” एक पतंग ने कहा, “क्योंकि तुम्हारे अंदर डर नहीं है।”
“क्या मैं कभी वापस जा पाऊंगा?” आरव ने पूछा।
“हर कोई वापस जा सकता है — लेकिन पहले उसे अपनी असली उड़ान समझनी होती है।”
🌀 पतंगों की दुनिया
उस दुनिया को कहा जाता था "वायुलोक" — जहां हर पतंग, जो कभी ज़मीन से उड़ी थी, अपनी आत्मा के साथ रहती थी।
यहां समय नहीं चलता था। यहां न उम्र थी, न मौत — बस उड़ानें थीं।
आरव को वहां कई लोग मिले — कुछ बूढ़े, कुछ बच्चे — सब वो लोग जिन्हें कभी पतंगों ने चुना था।
पर सबके चेहरे पर एक अधूरापन था।
किसी ने कहा, “हमने उड़ना तो सीख लिया, लेकिन वापस जाना भूल गए।”
🔍 आरव की तलाश
आरव जानता था, वो यहां हमेशा नहीं रह सकता।
उसने पतंगों से पूछा, “मुझे मेरी असली उड़ान कैसे मिलेगी?”
एक बूढ़ी पतंग बोली, “जिस दिन तू अपनी पतंग की डोरी खुद से काट देगा… उस दिन तू़ उड़ान के असली मतलब को समझ जाएगा।”
आरव उलझ गया — “लेकिन अगर मैं डोरी काट दूं, तो मैं गिर जाऊंगा ना?”
“शायद,” पतंग मुस्कराई, “या फिर… तू आज़ाद हो जाएगा।”
✂️ डोरी की रिहाई
कई रातों तक सोचने के बाद, आरव ने आखिर फैसला लिया।
वो आसमान में सबसे ऊंची जगह पर पहुंचा — और अपनी पतंग की डोरी को देखा।
एक पल को जैसे सब थम गया।
फिर अचानक एक तेज़ रोशनी हुई — और आरव को लगा कि वो गिर रहा है…
🌍 वापसी
अगली सुबह उड़ानपुर के लोग चौंक उठे।
आरव, जो एक साल पहले उड़ गया था — वापस आ गया था।
वो बदला हुआ था। शांत, गहरा, और समझदार।
लोगों ने उसे घेर लिया, सवालों की बारिश कर दी।
लेकिन आरव ने सिर्फ़ मुस्कराकर कहा:
“जब तुम खुद उड़ना सीख जाओ… तब ही वापस लौट सकते हो।”
समाप्त।
"पतंगों का शहर" एक ऐसी कल्पनात्मक कहानी है जो साहस, आत्म-खोज और आज़ादी की बात करती है।