कहानी: "पेड़ की चिट्ठी"

 कहानी: "पेड़ की चिट्ठी"

(एक मौलिक, यूनिक और कॉपीराइट-फ्री कहानी)

गाँव के एक किनारे पर एक पुराना पीपल का पेड़ खड़ा था। वह पेड़ न जाने कितने सालों से वहाँ था, पर अब धीरे-धीरे लोग उसे भूलते जा रहे थे। पहले बच्चे उसके नीचे खेलते थे, बूढ़े लोग वहाँ बैठकर बातें करते थे, लेकिन अब सब मोबाइल और टीवी में व्यस्त हो गए थे।


पेड़ अकेला हो गया था।

एक दिन गाँव के एक छोटे से लड़के अर्जुन ने स्कूल से लौटते समय उस पेड़ के नीचे बैठना शुरू किया। अर्जुन बाकी बच्चों से थोड़ा अलग था—शांत, सोचने वाला। वह रोज़ पेड़ के नीचे बैठकर अपने स्कूल का होमवर्क करता और कभी-कभी उससे बातें भी करता।

पेड़ को अच्छा लगने लगा। उसे फिर से लगने लगा कि वह ज़िंदा है।

अर्जुन को भी पेड़ से लगाव हो गया था। एक दिन उसने पेड़ से पूछा, “तुम इतने पुराने हो, क्या तुम्हारे पास कहानियाँ हैं?”

पेड़ मुस्कुराया, हवा चली, और एक पुराना पत्ता नीचे गिरा।

अर्जुन ने उस पत्ते को उठाया, और हैरानी से देखा—उस पर कुछ लिखा था।
"मैंने देखा है समय को बदलते हुए। लोग आते हैं, जाते हैं। पर एक बात मैं जानता हूँ—प्रकृति को अगर तुमने प्यार दिया, तो वह तुम्हें हमेशा याद रखेगी।"

अर्जुन चौंक गया। क्या ये सच में पेड़ ने लिखा था?

उस दिन से हर दिन पेड़ एक पत्ता गिराता, और हर पत्ते पर एक नई सीख होती:

  • "धैर्य सबसे बड़ा गुण है।"

  • "जो जड़ से जुड़ा रहता है, वही ऊँचा उठता है।"

  • "छाया बनो, बोझ नहीं।"

अर्जुन ने उन पत्तों को संभालकर रखना शुरू किया और एक छोटी सी ‘पेड़ की डायरी’ बना ली।

कुछ ही हफ्तों में उसकी डायरी गाँव में मशहूर हो गई। स्कूल के शिक्षक भी उसकी बातें सुनने लगे। गाँव के लोग पेड़ के नीचे वापस आने लगे, और बच्चों ने वहाँ फिर से खेलना शुरू कर दिया।

पेड़ खुश था। वह जानता था कि अब उसे फिर से भुलाया नहीं जाएगा।

एक दिन अर्जुन ने पेड़ से कहा, “मैं बड़ा होकर पेड़-पुस्तकालय बनाऊँगा। जहाँ हर पेड़ एक कहानी कहेगा, जैसे तुमने मुझे सुनाई।”

हवा फिर से चली, पेड़ के पत्ते हिले, और एक पत्ता गिरा—
इस बार उसमें लिखा था:
"अर्जुन, तुमने मुझे फिर से ज़िंदा किया। अब मैं तुम्हारी कहानी सुनाऊँगा।"


शिक्षा:
कभी-कभी सबसे पुरानी चीज़ें भी हमें सबसे नई प्रेरणा दे सकती हैं। प्रकृति सिर्फ देखने की नहीं, समझने की भी चीज़ है।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post